छत्तीसगढ़ के चावल के विदेशी हुए दीवाने, पांच साल में दोगुना से ज्यादा हुई मांग

रायपुर। धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के चावल (सामान्य और सुगंधित दोनों) का स्वाद और उसकी महक के विदेशी इस कदर दीवाने हो गए हैं कि इसकी मांग चार वर्षों में ही दोगुनी से ज्यादा हो गई है। वर्ष 2021-22 में प्रदेश से 5,200 करोड़ रुपये का चावल विदेश भेजा गया है, जबकि पांच साल पहले तक बमुश्किल ढाई हजार करोड़ रुपये के चावल का निर्यात किया जाता रहा है। बीते वर्ष पूरे देश से 45 हजार करोड़ रुपये के चावल का निर्यात किया गया था, यानी चावल के निर्यात में अकेले छत्तीसगढ़ की भागीदारी करीब 11 फीसद तक रही।

वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय भारत सरकार के कृषि और प्रसंस्कृ त खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के आंकड़ों से यह बात सामने आई है कि छत्तीसगढ़ के चावल की मांग विदेश में तेजी से बढ़ती जा रही है। कृषि विज्ञानियों का कहना कि पिछले वर्षों में प्रदेश के सुगंधित धान की पुरानी किस्मों को उन्न्त किस्मों के रूप में विकसित किया गया है। इससे किसानों को धान की इन प्रजातियों की खेती करने में आसानी हुई है। यही वजह है कि धान का रकबा बढ़ने के साथ ही उसकी मांग भी बढ़ी है।

विकसित धान की उन्न्त किस्मों से खुले निर्यात के द्वार

प्रदेश में जीराफूल, दुबराज, बादशाह, जंवाफूल, विष्णुभोग, तरुण भोग समेत धान की 16 प्रमुख सुगंधित किस्में हैं। प्रदेश में 23 हजार 450 प्रकार के धान की दुर्लभ किस्मों के जर्मप्लाज्म भी हैं। कृषि विज्ञानियों के अनुसार पिछले वर्ष्ाों में विकसित किए गए म्यूटेंट किस्म के धान के नए बीजों में ट्राम्बे छत्तीसगढ़ दुबराज म्यूटेंट-एक, ट्राम्बे छत्तीसगढ़ सोनागाठी म्यूटेंट, विक्रम टीसीआर, छत्तीसगढ़ जंवाफूल, ट्राम्बे छत्तीसगढ़ विष्णुभोग म्यूटेंट, छत्तीसगढ़ धान 1919, छत्तीसगढ़ देवभोग शामिल हैं। ये सभ्ाी अधिक उत्पादन देने वाली किस्में हैं। खास बात यह कि इन किस्मों में रोग नहीं लगते।

बढ़ रहा धान का रकबा

खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में धान बेचने के लिए कुल 24 लाख 6,560 किसानों ने पंजीयन कराया था, जिनके द्वारा बोए गए धान का रकबा 30 लाख 10 हजार 880 हेक्टेयर है, जबकि 2020-21 में पंजीकृत धान का रकबा 27 लाख 92 हजार 827 हेक्टेयर था।

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के एसोसिएट डायरेक्टर आफ रिसर्च डा. विवेक त्रिपाठी ने कहा, पिछले वर्षों में देखें तो प्रदेश के चावल की मांग विदेश में काफी बढ़ी है। हमारे यहां के चावल का विदेश में कई तरह के उत्पाद बनाकर पैकेट बंद करके बेचा जा रहा है। विदेशियों को इससे मुनाफा भी हो रहा है।

धान की प्रजातियों के आंकड़े

– 23,450 प्रजातियां हैं धान की छत्तीसगढ़ में

– 1,000 किस्में हैं सुगंधित धान की दुनिया में

– 150 किस्में हैं सुगंधित धान की भारत में

– 16 सुगंधित धान की किस्में हैं छत्तीसगढ़ में

पिछले वर्षों में किए गए निर्यात को इस तरह जानें

वर्ष सामान्य चावल (करोड़ रुपये में) सुगंधित चावल (करोड़ रुपये में) मात्रा (टन में)

2020-21 5,487.16 108.97 39,642.08

2019-20 1,827.01 68.99 26,686.05

2018-19 2,228.10 28.23 11,596.00

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